जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने एक प्रकरण में राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत जवाब से संतुष्ट न होकर एसपी डिंडौरी को तलब कर लिया है। इस प्रकरण में अगली सुनवाई 11 मई को निर्धारित की गई है।
सुनवाई हुई इस दौरान याचिकाकर्ता डिंडौरी निवासी राजेश मरावी सहित 13 आरक्षकों की ओर से अधिवक्ता ओमशंकर विनय पांडे और अंर्चना पांडे ने दलील दी कि याचिकाकर्ता 20 से 25 वर्ष से पुलिस विभाग में सेवा दे रहे हैं। वर्तमान में वे आरक्षक पद पर कार्यरत हैं। आलम यह है कि उनसे अपेक्षाकृत कनिष्ठ एएसआई और एसआई बन गए। लेकिंन उनकी पदोन्नति को लंबित रखा गया है। इस वजह से विभाग, परिवार और समाज में अपमान सहना पड़ रहा है, मानसिक अवसाद की स्थिति बन गई है। जिसका असर स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि 2012 में याचिका दायर की गई थी। तब से लेकर अब तक सरकार की ओर से टाल-मटोली का रवैया अपनाया जा रहा है। अब जाकर जो जवाब पेश किया गया है, वह भी महज रस्म अदायगी से अधिक कुछ भी नहीं। इससे मामला सुलझने के बदले और उलझने की कगार पर पहुंच गया है। कायदे से याचिकाकर्ताओं की वरिष्ठता का सम्मान करे उन्हें पदोन्नति का लाभ दिया जाना चाहिये। इस सिलसिले में पुलिस अधीक्षक से सीधे जवाब मांगा जाना न्यायहित का तकाजा है। उच्च न्यायालय ने तर्क से सहमत होकर एसपी को हाजिर होकर स्पष्टीकरण पेश करने के निर्देश दे दिये।