डिंडौरी(रामसहाय मर्दन)|अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मछली अचार उत्पादन तकनीक द्वारा स्वरोजगार पर प्रशिक्षण दिया गया। मछली और उससे निर्मित उत्पाद अपने स्वाद और पौष्टिकता के लिए मानव के भोजन में विशेष स्थान रखते हैं। मछली उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन एवं omega-3 फैटी एसिड्स की सस्ती एवं सुपाच्य स्रोत मानी जाती है। मछली उत्पादन एवं मछली के मूल्य वर्धित उत्पाद ग्रामीण आजीविका, स्वरोजगार एवं महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसी कड़ी में कृषि विज्ञान केंद्र, डिंडोरी में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक, डिंडोरी के वित्तीय सहायता से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023 के अवसर पर महिला स्व सहायता समूह सदस्यों एवं लीडर्स को “मछली अचार उत्पादन तकनीक ” विषय पर एक दिवसीय व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र डिंडोरी द्वारा संचालित लघु मत्स्य प्रसंस्करण इकाई में किया गया । कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती सुनीता अशोक सारस, अध्यक्षा, डिंडोरी नगर परिषद ने उद्घाटन उद्बोधन में मूल्यवर्धित मछली उत्पाद आधारित स्वरोजगार के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और भविष्य में किसी भी प्रकार के सहयोग के लिए अपनी प्रतिबद्धता से महिलाओं की हौसला अफजाई की। नगर परिषद वार्ड 12 के पार्षद राजेश पराशर बताया कि मछली से कम लागत वाले पौष्टिक उत्पाद तैयार कर स्थानीय स्तर पर डिंडोरी जैसे सुदूर जिला में आजीविका उपलब्ध कराई जा सकती है। देवव्रत पाल, जिला विकास प्रबंधक, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक, डिंडौरी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रायोजित कार्यक्रम के महत्व की जानकारी दी। उन्होंने बताया की संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : 2023 की थीम “डिजिटल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार एवं प्रौद्योगिकी” रखा गया है। नाबार्ड जिले में मछली पालन एवं मूल्यवर्धित मछली उत्पाद को ग्रामीण स्वरोजगार सृजन मैं एक बेहतरीन विकल्प के रूप में देख रहा है और कृषि विज्ञान केंद्र तथा बायफ संस्था की मदद से आने वाले समय में इस तरह के कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित करेगा। डां. पी एल अम्बुलकर, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र डिंडोरी ने बताया की मत्स्य प्रसंस्करण के महत्व को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र डिंडोरी द्वारा लघु मत्स्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गई है जिसके द्वारा स्थानीय मछुआरों को मछली से विभिन्न उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। जिला परियोजना प्रबंधक आजीविका श्रीमती मीना परते ने मछली अचार को स्वरोजगार के रूप में अपनाने के लिए महिलाओं को प्रेरित किया।कार्यक्रम का संचालन कृषि विज्ञान केंद्र, डिंडोरी के वैज्ञानिक डॉ. सत्येंद्र कुमार के द्वारा किया गया। डॉ. कुमार ने मछलियों से बनाए जाने वाले विभिन्न उत्पादों की जानकारी दी और इससे संभावित स्वरोजगार के बारे में विस्तार से बताएं। मछली आचार प्रसंस्करण एवं प्रबंधन के बारे में उन्होंने विशेष जानकारी दी की मछली अचार की आकर्षक पैकिंग और गुणवत्ता प्रबंधन द्वारा अच्छी आय स्थानीय बाजारों से भी की जा सकती है। महिलाओं को आचार इकाई के निर्माण में लगने वाली सामग्रियों का वितरण नाबार्ड डिंडोरी के द्वारा मुख्य अतिथि श्रीमती सुनीता अशोक सारस एवं अन्य अतिथियों के हाथों से कराया गया। सामग्रियों को प्राप्त कर समूह की महिलाओं ने प्रसन्नता जाहिर की और ग्राम पंचायत सेनगुड़ा में मछली अचार उत्पादन इकाई स्थापित कर सामूहिक रूप से मछली अचार निर्माण एवं विक्रय के प्रति नाबार्ड और कृषि विज्ञान केंद्र को आश्वस्त किया। महिला दिवस के विशेष अवसर को ध्यान में रखते हुए नाबार्ड द्वारा महिलाओं को उपहार स्वरूप लेडीस बैग भी दिया गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में बायफ संस्था के देवी सिंह रघुवंशी का विशेष योगदान रहा जिन्होंने चैनपुरा गांव की आदिवासी महिला समूह के सदस्यों को इस प्रशिक्षण के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम दौरान सूश्री सुरेखा, गुणवत्ता प्रबंधक, एन आर एल एम, डिंडोरी, श्रीमती आरती सोंधिया जिला खेल अधिकारी डिंडोरी अवधेश पटेल कार्यक्रम सहायक कृषि विज्ञान केंद्र डिंडोरी की उपस्थिति सराहनीय रही। कार्यक्रम में सेंनगुड़ा गांव, करंजिया विकासखंड की मां नर्मदा स्व सहायता समूह की 30 महिलाओं ने भाग लिया।