~ साक्षी की नृशंस हत्या ,आखिर दोषी कौन?
नवनीत दुबे- सर्वविदित है बीते दिनों देश का दिल कही जाने वाली दिल्ली मै खुलेआम एक सरफिरे आशिक ने साक्षी नाम की सोलह से सत्रह वर्ष की युवती को मौत के घाट उतार दिया ,मौत भी ऐसी जिससे रूह कांप गई चाकू के दनादन 28 से 30 वार शरीर के मांस को भेदकर टुकड़ो को बाहर निकाल रहे थे और हत्यारा वहशियत की पराकाष्ठा को पार किये जा रहा था इतने वार के बाद भी उसका दिल नही भरा तो एक बड़े पत्थर को चेहरे पर पटक कर अपनी वहशियत को पूर्ण कर के सीना चौड़ा कर लोगों के सामने से निकल गया, इन सब बातों का उल्लेख करने आशय सिर्फ इतना है किसरेराह एक मुस्लिम युवक अपनी प्रेमिका को (जैसी चर्चा है) चाकुओं से गोदकर नृशंस हत्या को अंजाम देता रहा और वहा से आवाजाही कर रहे लोग सिर्फ मौत का तमाशा देखते रहे वो तो भला हो दिल्ली में स्थापित आप सरकार का जिसने CCTV कैमरे हर गली मोहल्ले प्रमुख मार्गों में लगवाए है या ये भी संभव है जहाँ मौत का नंगा नाच हुआ वहा किसी व्यक्ति का निजी कैमरा लगा हो, खेर जो भी हो लेकिन शर्मसार ओर आत्मग्लानि वाली बात ये है,
साहिल नामक युवक सरेआम अपने घृणित कृत्य को अंजाम देता रहा और नपुंसको की भीड़ तमाशा देख रही थी किसी ने साहस तक नही जुटाया उस विधर्मी को रोकने का, आश्चर्य की बात है ऐसे नपुंसक प्रवत्ति के कुछ लोगो का शहर देश का दिल कहा जाता है? मुद्दे की बात पर आते है शब्द कटु है पर सोलह आने सत्य है इस्लामिक राष्ट्र के नापाक मंसूबे संजोकर बैठे कुछ नमक हराम टेरर फंडिंफ ओर बाहरी आर्थिक मदद के दम पर लव जिहाद को सहज रूप से साकार कर रहे है और सनातन संस्कृति को कुचलने का प्रयास हो रहा है,आखिर ऐसा हो भी क्यो न क्योकि हिन्दू युवती अपने हृदय में राजकुमार के रूप में कुछ कट्टर पंथी मुस्लिम युवाओं को स्थान दे रही है? विडंबना ही कहेंगे कि ऐसी हिन्दू युवतियो के माता-पिता आधुनिकता का चश्मा लगाकर संस्कृति-संस्कार को आडम्बर बताते है और खुद को आधुनिक सोच व खुले मानसिकता का परिचायक दर्शाते हैं, जिसका पूरा पूरा लाभ इन आधुनिक माता-पिता की औलादे उठा रही है, और अपने धर्म-संस्कृति को दरकिनार कर दूसरे धर्म खासतौर पर मुस्लिम युवकों के प्रेमजाल में फंसकर लव जिहाद का शिकार बन रही है?