जबलपुर नवनीत दुबे- सियासत के गलियारों से उड़ती उड़ती कानाफूसी अब संस्कारधानी में कौतूहल के साथ चर्चा का विशेष केंद्र बिंदु बन रही है, राजनीतिक पंडितों के अनुमान अनुसार इस बार के विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश में युवा चेहरों को ज्यादा अवसर देने की बात कही जा रही है, जिसमें भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के नाम सामने आ रहे हैं, ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि सियासत के चाणक्य नीति—रीती व रणनीति के माध्यम से जमींनी तरह का अनुमान लगाने भी इस तरह का तिलिस्मी दांव खेल रहे है? समूचे तारतम्य में प्रमुख बात जो संस्कारधानी की भाजपाई सियासत में हलचल का विषय बनी हुई है, वह है युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धीरज पटेरिया व युवा मोर्चा के ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे, इन दोनों चेहरों पर भाजपा दाव लगा सकती है। धीरज पटेरिया को उत्तर मध्य तथा अभिलाष पांडे को पश्चिम से प्रत्याशी बनाने की चर्चा जोरों पर है, हालांकि यह सिर्फ कयास लगाया जा रहे हैं जिसका प्रमुख कारण धीरज पटेरिया की भाजपा में वापसी के दौरान जिस तरह का माहौल बना था जिसने छोटे कार्यकर्ता से लेकर भाजपाई दिग्गजों को अपनी ताकत और जनसमर्थन का लोहा मानने विवश कर दिया है। धीरज की घर वापसी के राजनीतिक आयोजन में मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों के दिक्कत व वरिष्ठ भाजपाइयों के साथ युवा शक्ति भी धीरज के साथ खड़ी नजर आई, संभवत: समर्थकों की इतनी बड़ी फौज को दृष्टिगत रखते हुए उत्तर मध्य धीरज पटेरिया को प्रत्याशी बनाया जाना लगभग तय माना जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे जो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के चहेते और बेहद करीबी माने जाते हैं, साथ ही युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए संगठन के प्रति किए गए कार्य युवा शक्ति को एक सूत्र में पिरो कर भाजपा की नीति का अनुसरण कर मोर्चा को एक नई ऊर्जा प्रदान की थी, किंतु ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अभिलाष को पश्चिम विधानसभा से प्रत्याशी बनाया जाना शायद नुकसानदेह साबित हो सकता है क्योंकि कांग्रेस विधायक व पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट की सियासी जड़े गहराई तक फैल चुकी है और खासा जनसमर्थन व आशीर्वाद तरुण के पक्ष में दृष्टिगत हो रहा है? संस्कारधानी के भाजपाई खुद इस बात को बोलते नजर आ रहे हैं कि तरुण के मुकाबले अभिलाष कमजोर ही साबित होंगे? अब ऐसे में धीरज पटेरिया और अभिलाष पांडे को विधानसभा में प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा उत्तर और पश्चिम के वरिष्ठ ओर दिग्गज भाजपाइयों के माथे पर चिंता की लकीर खींच रही है, तो वही कहना भी अनुचित नहीं होगा कि धीरज पटेरिया भाजपा के एक दिग्गज ओर समर्थवान, साथ ही बहुतायत संख्या में समर्थकों के बीच एक विशेष छवि स्थापित किए हुए हैं, जिसके मुकाबले अभिलाष थोड़ा कमजोर ही नजर आ रहे हैं?