साईडलुक, नवनीत दुबे। सर्वविदित है बीते कुछ समय से मणिपुर जातिगत हिंसा की आग में झुलस रहा है जिस पर नियंत्रण पाने में शासन-प्रशासन नाकाम साबित हुए है या ऐसा कहा जाय कि सियासती खेल की आग में निर्दोषों को बलि चढ़ाया जा रहा है, खैर हिंदुस्तान में वर्तमान हालात पर दृष्टि डाले तो जो हक़ीकत सामने आ रही है वह चिंतनीय ओर विचारणीय है सत्य के आईने में जाति वर्ग, सम्प्रदाय, ऊंच-नीच की पराकाष्ठा सर चढ़कर अपना दंभ प्रदर्शित कर रही है जिसको हवा देने का काम सियासत के महारथी कर रहे है ये कहना अति शयोक्ति नही होगा ?
मुद्दे की बात पर आते है बीते दिनों मणिपुर में फैली जातीय हिंसा ने जो रूप अख्तियार किया वह बेहद शर्मनाक ओर मानवता को झकझोर देने वाला है,महिलाओं और लड़कियों को हिंसा की आड़ में वासना का शिकार बनाया जा रहा है खुलेआम हिंसक आताताई अपने निकृष्ट मंसूबो को अंजाम दे रहे है और सत्ताधीश मोन धारण कर तमाशा देख रहे है साथ ही प्रशासन की जिम्मेदार विभाग के अधिकारी हिंसा में निर्दोषों की मौत का तांडव देख असहाय की भांति हाथ बांधे हुए है संभवतः सत्ताधीशों के आदेश का इंतजार इन्हें पंगु बने रहने विवश किया हो? जो भी हो पर सरेराह दो युवतियों को नग्न कर जिस तरह से नरपिशाचों की भीड़ नग्न सोच की पोषक होने का परिचय देते हुए उन युवतियों का तमाशा बनाकर गुप्त अंगों पर निर्लज्जता की हद पार कर रही थी वह दृश्य हृदय की व्यथित करने वाला था और महिला अस्मिता की उड़ रही धज्जियां सत्ता के लोलुपो पर करारा तमाचा है जो सिर्फ सत्ता सुख की खातिर बहु बेटियों को खुलेआम नंगा कर जातिवाद की आड़ में निकृष्ट करतूत करने की खुली छूट देने में बराबर की सहभागी है?
सोशल मीडिया में वायरल हुई युवतियों के नग्न घुमाय जाने वाले वीडियो ने मीडिया जगत की भी कलई खोल कर रख दी जो जरा जरा सी बात पर ब्रेकिंग न्यूज़ बोलकर शोर मचाते है वह मई माह में घटित हुई इस शर्मसार घटना से अभी तक अनभिज्ञ थे? साथ ही सबसे करारा जूता केंद्र सरकार के मुह पर उन हिंसक आतताइयों ने मारा है जो लंबे समय से मणिपुर को जातीय वर्ग के नाम पर हिंसा की आग में खुलेआम जला रहे है और केंद्र के प्रधान से लेकर अन्य जिम्मेदार चुपचाप तमसबीन बने हुए है,अंततः युवतियों के साथ हुई इस निकृष्ट घटना ने देशवासियों की आत्मा को झकझोर कर रख दिया है और कहा जा रहा है प्रधानमंत्री मोदी जी भी इस घटना से आगबबूला है, विडंबना ही कहेंगे कि अभी तक चुप्पी साधे बैठे जिम्मेदार सत्ताधीश मणिपुर को हिंसा की आग से बचाने में क्यो नाकाम साबित हो रहे थे साथ ही मणिपुर के मुख्यमंत्री किन कारणों से जातीय हिंसा को बढ़ता देख शांति धारण किये हुए थे ?
सबसे ज्यादा लज्जित करने वाली बात तो ये है कि इस घिनोने अपराध पर शर्मिंदगी की बजाय कांग्रेस भाजपा के सुरमा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप के तीर चला रहे है और राजस्थान में हुई बलात्कार और निर्मम हत्या व मणिपुर में नग्न घुमाई गई युवतियों पर सियासत कर चुनावी लाभ उठाने का प्रयास कर रहे है ,ऐसी स्थिति में ये कहना अनुचित नही होगा कि मौत और बलात्कार या निकृष्ठ घटनाओं पर भी सियासतदार सिर्फ राजनीति कर वोट बैंक साधने एक दूसरे को नीचा दिखाने का खेल खेलते है?