मराठा वीरता की अमिट धरोहर आज पहुंचेगी मातृभूमि
साईडलुक, सत्यजीत यादव। मराठा इतिहास के स्वर्णिम अध्याय से जुड़ी एक गौरवशाली धरोहर, ”रघुजी भोसले प्रथम की ऐतिहासिक तलवार” 200 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद अब भारत लौट रही है। यह ऐतिहासिक क्षण मराठा संस्कृति, भारतीय अस्मिता और देश के विरासत संरक्षण के प्रयासों के लिए एक मील का पत्थर है।
रघुजी भोसले प्रथम की ऐतिहासिक तलवार, जो लगभग 200 वर्षों से विदेश में थी, अब भारत लौट रही है। इस ऐतिहासिक धरोहर की वापसी के प्रयास और इसके पीछे की कहानी अत्यंत प्रेरणादायक है।
कौन थे रघुजी भोसले प्रथम ?
रघुजी भोसले प्रथम (1695–1755) मराठा साम्राज्य के एक प्रखर सेनापति और नागपुर भोसले वंश के संस्थापक थे। उन्होंने मध्य और पूर्व भारत में मराठा शक्ति का विस्तार किया और बंगाल, उड़ीसा तक मराठा झंडा फहराया। उनकी तलवार वीरता और नेतृत्व का प्रतीक रही है।
तलवार की ऐतिहासिक यात्रा
ब्रिटिश शासन के दौरान 19वीं सदी में रघुजी भोसले की तलवार किसी सैन्य संघर्ष या कूटनीतिक सौदे में जब्त कर ली गई थी। यह तलवार बाद में लंदन के एक संग्रहालय और फिर एक निजी नीलामी हाउस के पास पहुंच गई।
तलवार की विशेषताएं
यह तलवार 18वीं शताब्दी की “फिरंगी” शैली की है, जिसमें यूरोपीय ब्लेड और भारतीय मूलेरी हिल्ट का संयोजन है। तलवार पर देवनागरी लिपि में “श्रीमंत रघुजी भोसले सेनासाहिब सुब्हा फिरंग” अंकित है, जो इसे रघुजी भोसले प्रथम से जोड़ता है।
भारत की कोशिशें रंग लाईं
महाराष्ट्र सरकार और केंद्र के संस्कृति मंत्रालय ने इस अमूल्य धरोहर की वापसी के लिए नीलामी में हिस्सा लेकर लगभग 27 करोड़ रुपये में इसे अधिग्रहित किया। यह कदम विदेशों में फैली भारत की सांस्कृतिक संपदा को पुनः भारत लाने के लिए चल रहे मिशन “विरासत वापसी अभियान” का हिस्सा है।
भविष्य की योजना
यह तलवार आज 18 अगस्त 2025 को मुंबई पहुंचेगी और पीएल देशपांडे कला अकादमी, दादर में प्रदर्शित की जाएगी। इस अवसर पर “गड गर्जना” नामक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा। इसके बाद यह तलवार नागपुर के भवानी मंदिर संग्रहालय में विशेष सुरक्षा के साथ प्रदर्शित की जाएगी। साथ ही इसे भारत की स्वतंत्रता, स्वाभिमान और मराठा विरासत की जीवंत निशानी के रूप में प्रचारित किया जाएगा।
क्या कहते हैं इतिहासकार ?
इतिहासकारों ने इस वापसी को “भारतीय इतिहास का पुनरुद्धार” कहा है। मराठा संगठनों और युवाओं में इस खबर से भारी उत्साह है। सोशल मीडिया पर #RaghujiSwordReturns ट्रेंड कर रहा है। यह पहली बार है जब महाराष्ट्र सरकार ने किसी ऐतिहासिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय नीलामी से प्राप्त किया है। इससे पहले, राज्य सरकार ने छत्रपति शिवाजी महाराज के “वाघ नख” की वापसी सुनिश्चित की थी।
तलवार की वापसी: प्रयासों की शुरुआत
अप्रैल 2025 में, लंदन की नीलामी घर सॉदबीज़ (Sotheby’s) ने रघुजी भोसले प्रथम की तलवार की नीलामी की घोषणा की। इस समाचार के सामने आते ही महाराष्ट्र सरकार सक्रिय हो गई। संस्कृति मंत्री आशीष शेलार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर तत्काल कार्रवाई की योजना बनाई। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस ऐतिहासिक धरोहर की वापसी को राज्य के लिए गर्व का क्षण बताया और इसके लिए आवश्यक कदम उठाए।
आज 18 अगस्त 2025 को भारत सिर्फ एक तलवार वापस नहीं पा रहा, बल्कि अपनी गौरवशाली पहचान, वीरता की स्मृति और आत्मगौरव की झलक को फिर से अपने हृदय में बसाने जा रहा है। रघुजी भोसले की तलवार अब न केवल संग्रहालय की शोभा होगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए गर्व, इतिहास और प्रेरणा की जीवित मिसाल बनेगी। रघुजी भोसले प्रथम की तलवार की वापसी न केवल मराठा इतिहास की पुनर्प्राप्ति है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

