जबलपुर,नवनीत दुबे। सपने देखने का हक सिर्फ उन्हें बस नही जो इस दुनिया को सजीव आंखों से देखते है ,अपितु उन्हें भी है जिनकी आंखों में रोशनी की किरण मात्र भी न हो जिन्हें समाज दृष्टिहीन कहकर संबोधित करता है,लेकिन चकचोंध की इस दुनिया से बिल्कुल परे वे बच्चे जो रंग बिरंगी दुनिया का सिर्फ अहसास कर सकते है किंतु देख पाने में असमर्थ असहाय है,उन्हें भी सपने देखने का हक है वह स्वप्न जो इन्होंने अपने अंधत्व युक्त जीवन मे स्वर्णिम भविष्य के लिए संजोय है,लेकिन दुर्भाग्य ही कहेंगे कि इन बेबस दृष्टिहीनों की पीड़ा पर सांत्वना दर्शाने वाले तो बहुत है किंतु इनके हृदय के भाव और मर्म की पीड़ा को अनदेखा किये हुए है,मुद्दे की बात पर आते है बीते दिनों एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया जो सोचने विवश कर रहा कि प्रशासनिक अधिकारियों व जिमेदार विभाग के साथ ही सत्ता के रहनुमाओं की अनदेखी के चलते दृष्टिहीन छात्राओं को अव्यवस्थाओं ,लाचारी,में रहने विवश किये हुए है,विदित हो कि भवरताल क्षेत्र में विकलांग सेवा समिति द्वारा नेत्रहीन कन्याओं को शिक्षित करने के उद्देश्य से हाइस्कूल का संचालन किया जा रहा है इस स्कूल मे मध्यप्रदेश के 22 जिलों से 89 बालिकाएं अध्ययनरत है और यहाँ निशुल्क शिक्षा,आवास,भोजन,व स्वास्थ्य संबंधी सुविधाये प्रदत की जाती है जो कि जन सहयोग और समाजसेवियों के अनुदान से संचालित हो रहा है,उक्त भवन नगर पालिका निगम की भूमि पर 2007 से संचालित है किंतु वर्तमान में भवन बेहद दयनीय ओर दुर्दशाग्रस्त छत से पानी टपक रहा है,फर्श उखड़ गए है और अन्य दुर्दशाओ का सामना बेबस नेत्रहीन कन्याओं को करना पड़ता है समिति के अध्यक्ष ने इस संबंध में बताया कि 2017 में तत्कालीन निगम आयुक्त के इस वेदनीय पीड़ा से अवगत कराया गया था जिस पर गंभीरता दिखाते हुए जोन क्रमांक 13 जो सुभद्रा कुमारी चौहान वार्ड में आता है वहा नए भवन का निर्माण कराया जा रहा था वर्तमान में ये भवन पुनतः तैयार हो चुका है लेकिन अभी तक नेत्रहीन कन्याओं हेतु ये भवन आवंटित नही किया गया है जिसको लेकर जिम्मेदार अधिकारियों जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई जा रही है पर इस दिशा में कोई दिलचस्पी नही दिखा रहे फलस्वरुप इधर से उधर भटकना पड़ रहा है और वर्तमान कलेक्टर से भी नेत्रहीन कन्याओं हेतु बना ये भवन आवंटित करने ज्ञापन दिया है पर हासिल आई शून्य की ही स्थिति द्रष्टिगत हो रही है,ऐसे परिपेक्ष्य में ये कहना अतिश्योकिती नही होगा कि प्रदेश सरकार जिस तरह से मतदाताओं को लुभाने योजनाओं के नाम पर मुफ्त लाभ दिया जा रहा है ऐसे में नेत्रहीन कन्याओं हेतु नए भवन में स्थापित न करना संभवतः यही दर्शा रहा है कि ये बालिकाएं अभी नाबालिक है साथ ही नेत्र हीन भी ऐसे में सियासतदारों को इनसे कोई लाभ की आशा नही ,इसलिए इन बेबस असहायों की सुध लेने से कोई सरोकार नही ? तो वही दुसरी ओर अगर सूत्रों की माने तो नेत्रहीन छात्राओं हेतु बना ये करोड़ो की लागत का भवन जो संस्कारधानी के पाश एरिया में है यह सत्ताधारी पदासीन दिग्गजों की नजर गड़ी हुई है जिसे ये अपने पद रसूख से हासिल करके अपना आधिपत्य स्थापित करना चाह रहे है? तो वही इस संबंध में संस्कारधानी के महापौर जगत बहादुर सिंह से बात की गई तो उनका कहना है कि भवन करोड़ो की लागत से बना है और वृहद क्षेत्रफल जमीन पर निर्माण हुआ है और जिसका किराया तय करने में पशोपेश की स्थिति है लेकिन जल्द ही किराया निर्धारित कर दिया जायेगा ,वाह जी वाह महापौर जी तो किराया तय होने की बात करके कन्नी काट गए पर सियासती रसूख को छुपा गए, प्रश्न वही का वही है अगर निगम किराया कितना हो इसकी बात करता है तो प्रश्न ये है कि नेत्रहीन कन्याओं के लिए बने भवन को इतना वृहद ओर आलीशान बनाया ही क्यो के हकदार को न मिले और सियासती दिग्गजों का अधिपत्य स्थापित हो जाय ?खेर सियासत के दांव पेंच सफेदपोश ही समझे ,पर जिस उद्देश्य से ये भवन निर्मित हुआ है उसके वास्तविक जरूरतमंदों का क्या ?अब देखना ये है कि जहा एक ओर प्रदेश के मुखिया शिवराज जी जनहित,लाडली बहनों, भंजियो के लिए खुले हृदय से मुफत रेवड़ी बांट रहे है वो नेत्रहीन छात्राओं के लिए बने भवन को उन्हें आवंटित करवाते है या कोई कानूनी नियम का पेंच फसाकर सियासती सफेदपोशों को इसका लाभ दिलाते है ?तो वही एक प्रश्न ये भी है कि विकलांग सेवा धाम समिति द्वारा किये जा रहे इस निस्वार्थ पुण्य कार्य मे कही कोई निज लाभ की मंशा तो नही है ?हालांकि कई वर्षों से संचालित मानव सेवा के लिए समर्पित इस संगठन की कार्य प्रणाली संभवतः पारदर्शी ओर जनसेवा की ही होगी ,अब देखना ये है कि नेत्रहीन कन्याओं के लिए बने भवन का हकदार कोन बनता है?
हालांकि लगातार हो रही बारिश के चलते जर्जर भवन में रह रही नेत्रहीन कन्याओं की समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए महापौर द्वारा आनन फानन में दुर्दशा का दंश झेल रही दृष्टिहीन छात्राओं के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए फिलहाल कुछ समय के लिए नए भवन में शिफ्ट कर दिया गया है साथ ही इन बेबस कन्याओं की पीड़ा से मुक्ति दिला दी है लेकिन फिर वही प्रश्न वाचक ?अन्नू सिंह द्वारा मानवता को सर्वोपरि रखते हुए इस पुण्य कार्य को लेकर चर्चाओं का सियासती बाजार गर्म हो गया है कहा जा रहा है कि महापौर द्वारा नए भवन में नेत्रहीन कन्याओं को आसरा देना और फिर सोसल मीडिया पर जमकर प्रचार प्रसार करना कही न कही आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जन सिम्पत्ति बटोरना है ?अब हकीकत कय्या है ये जगत बहादुर जाने और उन्हें घेरने वाले स्थानीय सियासतदार पर जिस उद्देश्य से ये भवन बना है वह वास्तविक जरूरत मंद आसरा पा गए है ,भले कुछ समय के लिए ही चर्चा तो ये भी है कि अगर ये सब वयस्क होते तो सियासत दारों द्वारा हाथों हाथ लिए जाते और विकलांग सेवा धाम समिति को दर दर भटक कर भवन के लिए गुहार न लगानी पड़ती ।