जबलपुर (सत्यजीत यादव)। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय और राज्य की सभी अधीनस्थ अदालतों में लंबित 31 हजार से अधिक प्रकरणों का शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत के जरिये परस्पर समझाइश से निराकरण कर दिया गया। इस प्रक्रिया में चार अरब से अधिक का मुआवजा वितरित हुआ।
उक्त जानकारी मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव रत्नेशचंद्र सिंह बिसेन और अतिरिक्त सचिव मनोज कुमार सिंह ने दी। उन्हाेंने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर, खंडपीठद्वय इंदौर व ग्वालियर में कुल छह युगलपीठ गठित की गई थीं। जबकि अधीनस्थ अदालतों के लिए 1234 युगलपीठों की व्यवस्था की गई थी। इस तरह प्रदेश स्तर पर कुल 1240 युगलपीठों के माध्यम से विवादों को समझाइश के जरिये निराकृत करने प्रयास किया गया।
प्री-लिटिगेशन के 87 हजार से अधिक मामले निराकृत
इस बार राष्ट्रीय लोक अदालत में 10 लाख से अधिक मामले समझौते के माध्यम से निराकृत कराने का लक्ष्य रखा गया था। एक लाख 18 हजार 975 का निराकरण करने में सफलता मिली। इस प्रक्रिया में कुल पांच अरब से अधिक के अवार्ड पारित हुए। इस बार प्री-लिटिगेशन के आठ लाख से अधिक मामलों में 87 हजार से अधिक मामले समझौते से निपट गए। इस प्रक्रिया में 90 करोड़ से अधिक का अवार्ड पारित हुआ। जबकि अदालतों में लंबित दो लाख से अधिक रेफर प्रकरणों में से 31 हजार 670 का निराकरण हो गया। इस प्रक्रिया में चार अरब से अधिक का मुआवजा वितरण हुआ। समझौते से विवाद निराकृत कराने पर छूट का भी लाभ मिला।
47.30 करोड़ का अवार्ड पारित
जिला न्यायालय जबलपुर, तहसील न्यायालय सिहोरा, पाटन व कुटुम्ब न्यायालय में शनिवार को संपन्न हुई नेशनल लोक अदालत में साढ़े बारह हजार प्रकरणों का निराकरण किया गया। इस दौरान सैंतालीस करोड़ तीस लाख अस्सी हजार दो सौ छियासी रूपए का अवार्ड राशि भी पारित की गई।
कुल 52 खण्डपीठों का गठन
प्रकरणों के निराकरण के लिये कुल 52 खण्डपीठों का गठन किया गया था। जिनमें न्यायालयों में लंबित 1548 प्रकरणों एवं 10909 प्री-लिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण किया गया। उक्त लोक अदालत में आपराधिक शमनीय प्रकृति के 421 प्रकरण, जिसमें धारा 138 एनआईएक्ट के 180 प्रकरण, मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा के 833 प्रकरण, सिविल मामलों के 48 प्रकरणों, विवाह संबंधित प्रकरण 78 एवं विद्युत अधिनियम के अंतर्गत 46, लेबर प्रकरण 11 अन्य प्रकृति के 53 लंबित प्रकरणों का निराकरण किया गया।
सात करोड़ से अधिक के समझौते
चैक बाउंस व मोटर दुर्घटना संबंधी मामलों में करोड़ की अवार्ड राशि-
लोक अदालत में धारा 138 एनआई एक्ट में कुल सात करोड़ अठ्ठावन लाख निन्नानवें हजार आठ सौ छत्तीस से अधिक रूपये के समझौता राशि के निर्णय किये गये। वहीं मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा के प्रकरणों में बत्तीस करोड़ बानवें लाख पैसठ हजार छ: सौ सत्तर रूपये के अवार्ड राशि पारित की गई। विद्युत के न्यायालयों में लंबित 96 प्रकरणों में बाइस लाख बाइस हजार चार सौ इक्यावन की राजस्व वसूली हुई। इसी प्रकार बैंक रिकवरी के 507 प्री-लिटिगेशन प्रकरणों में निराकरण पश्चात तीन करोड़ चौबीस लाख सत्तासी हजार की समझौता राषि लोक अदालत में प्राप्त हुयी।
भाई-बहन के बीच बनी सहमति
पीठासीन अधिकारी मनमोहन सिंह कौरव वरिष्ठ खण्ड के न्यायालय में सुभाष नगर निवाडग़ंज गोल बाजार नारीमन सेंटर राइट टाउन में स्थित संपत्ति के विक्रय का विवाद भाई बहनों के मध्य लंबित था। जिसमें भाई प्रतिवादी ब्रिटिश नागरिक था और भाई बहन के रिश्तों में संपत्ति विवाद को लेकर जो खटास थी, उसे मध्यस्थता के माध्यम से पीठासीन अधिकारी द्वारा समाप्त कराते हुए राजीनामा करवाया गया। जिसके फलस्वरूप 60 लाख रूपये के विक्रय संविदा का मामला इस शर्त पर निराकृत हुआ कि 6 माह के भीतर शेष प्रतिफल की राषि देकर पंजीकृत विक्रय पत्र निष्पादित कराया जायेगा।
टूटने से बचा परिवार, साथ रहने हुए तैयार
कुटुम्ब न्यायालय के पीठासीन अधिकारी काशीनाथ सिंह के न्यायालय में पति-पत्नी के मध्य हुए मनमुटाव के कारण पत्नि ने पति के विरूद्ध घरेलू हिंसा एवं दहेज प्रताडऩा के मामले दर्ज कराये थे। वहीं पति ने पत्नि को अपने साथ रखने के लिए आवेदन कुटुम्ब न्यायालय में प्रस्तुत किया। जिसके बाद खंडपीठ ने दोनों पक्षों के मध्य हुए विवाद की जड़ को पहचानते हुए मनमुटाव दूर किया तथा पति के द्वारा यह आष्वासन दिया कि वह अपनी पत्नि को अच्छे से रखेगा एवं उसके माता-पिता से संपर्क करने में कोई रोक टोक नहीं करेगा। इस समझाईष पर दोनो पक्ष साथ-साथ रहने हेतु तैयार हुए और उन्हें न्यायालय द्वारा विदा किया गया।