जबलपुर, डेस्क। संभागायुक्त न्यायालय में एक याचिका के जरिये जिला पंचायत चुनाव में निर्वाचित सदस्य को निर्वाचन प्रमाण-पत्र जारी न किए जाने के रवैये को चुनौती दी गई है। चुनाव याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी गायत्री गोंटिया की ओर से अधिवक्ता सुशील मिश्रा पैरवी करेंगे। उन्होंने अवगत कराया कि याचिकाकर्ता अनुसूचित जनजाति की महिला है। वह जिला पंचायत चुनाव में सदस्य पद के लिए प्रत्याशी थी। उसके अलावा आशा मुकेश गोंटिया सहित पांच प्रत्याशी थीं। मतदान के बाद मतगणना की प्रक्रिया को गति दी गई। सहायक पीठासीन निर्वाचन अधिकारी स्वाति सूर्या ने मौखिक रूप से याचिकाकर्ता को सर्वाधिक मत हासिल करने के आधार पर निर्वाचित घोषित किया। साथ ही जानकारी दी कि 15 जुलाई को जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. इलैयाराजा टी द्वारा निर्वाचन प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा। निर्धारित तिथि को याचिकाकर्ता मौके पर पहुंची तो उस वक्त हतप्रभ रह गई जब निर्वाचन प्रमाण-पत्र उसके स्थान पर आशा मुकेश गोंटिया को दे दिया गया। सवाल उठता है कि जब माौखिक घोषणा में याचिकाकर्ता निर्वाचित हुई थी, और 12 व 13 जुलाई के जबलपुर के समाचार पत्रों में उसी के नाम का विजेता के रूप में उल्लेख था, तो एकदम से दूसरे स्थान पर रही आशा मुकेश गोंटिया को जिला पंचायत सदस्य कैसे निर्वाचित कर दिया गया। इस रवैये के खिलाफ सबसे पहले जिला निर्वाचन अधिकारी से मौखिक रूप से शिकायत की गई। बाद में लिखित शिकायत भी सौंपी गई। इसके जरिये पुन: मतगणना कराए जाने पर बल दिया गया। संभागायुक्त से भी शिकायत कर मांग दोहराई गई। 25 जुलाई को आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई, जिसे देने से इन्कार कर दिया गया, इसीलिए चुनाव याचिका दायर की गई है। चुनाव याचिका में इस बात पर आश्चर्य जताया गया है कि पहले-पहल याचिकाकर्ता व आशा मुकेश गोंटिया के बीच 1300 मतों का अंतर था, जो अचानक खत्म कैसे हो गया। जो विजेता थी वह पराजित कैसे हो गई।