डिंडौरी(रामसहाय मर्दन)| जेडीईएस स्कूल जुनवानी में छात्राओं के यौन शोषण का मामला उजागर हुआ है,बाल संरक्षण अधिकार आयोग के टीम ने हॉस्टल में दबिश देकर मामले को उजागर किया हैं, वही मामले को लेकर सियासी हलचल और लापरवाही के चलते समनापुर थाना प्रभारी विजय पटले को निलंबित किया गया है वही डिंडौरी एसपी संजय सिंह को पीएचक्यू अटैच किया गया है। वही लापरवाही बरतने पर समनापुर बीइओ प्रीतराम राजपूत एवं अमरपुर बीआरसी को निलंबित किया गया हैं। बता दे कि समनापुर के निलंबित विकास खंड षिक्षा अधिकारी प्रीतराम राजपूत ने बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो को पत्र प्रेषित कर अकारण निलंबित करने का आरोप लगाया हैं। बाल संरक्षण आयोग समेत मुख्यमंत्री एवं कमिष्नर को भेजे गये आवेदन में लेख है कि प्रीतराम राजपूत विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी समनापुर एवं प्राचार्य शासकीय कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय समनापुर जिला डिंडौरी का निर्वहन निष्ठापूर्वक करते आ रहा हूँ । जो मुझे जिला अधिकारियों द्वारा अपने बचाव करते हुए अकारण निलंबित किया गया है। ग्राम जुनवानी जहाँ यह घटना घटित हुई है यह ग्राम अमरपुर विकास खण्ड जिला डिंडौरी के अंतर्गत आता है जिसमे जो भी जाँच या निरिक्षण अमरपुर विकास खण्ड के अधिकारियों द्वारा किया जाता है । निजी मिशनरी स्कूल जुनवानी को ग्रांट एवं मान्यता जिला शिक्षाधिकारी डिंडौरी द्वारा दिया जाता है , दिनांक 07.03.2023 को राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग संस्था नई दिल्ली के अध्यक्ष एवं सदस्यों के साथ डिंडौरी जिले के विकास खण्ड अमरपुर में आगमन हुआ । जहाँ विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी एवं बीआरसी अमरपुर अनुपस्थित रहे हैं। आयोग के अध्यक्ष के आगमन की सूचना मुझे किसी प्रकार से नहीं दी गयी थी । चूंकि में विकास खण्ड समनापुर में पदस्थ हूँ और मैं माध्यमिक शिक्षा मण्डल बोर्ड की परीक्षा में संलग्न था , यदि मुझे किसी भी प्रकार की सूचना होती तो में शासन के सहयोग हेतु उपस्थित होता,यह कि मुझे पूर्व में लिखवाकर लिया जा रहा था कि मैं विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्य नहीं करना चाहता जिसमे मेरे द्वारा लिखकर नहीं दिए जाने पर अपने बचाव करते हुए,जानबूझकर निलंबित किया गया । जबकि जो घटना घटित हुई है, वह अमरपुर जिला डिंडौरी की है । जिला शिक्षा अधिकारी जो जुनवानी स्कूल को मान्यता दिए हैं एवं शासकीय राशि आवंटित किये हैं जो गैर जाँच के मान्यता देने एवं ग्रांट देने के मुख्य दोषी जिला के अधिकारी हैं ।किन्तु द्वेषतावश एवं अपने बचाव हेतु निर्दोष व्यक्ति को निलंबित किया गया । जिससे मुझे अत्यधिक आघात पहुंचाते हुए मेरी मान प्रतिष्ठा एवं मानसिक संतुलन बिगाड़ने का कार्य इनके द्वारा कलेक्टर के हस्ताक्षर से निलंबित किया गया है । सात माह बाद सेवा निवृत होने जा रहा हूँ, मुझे बगैर स्पष्टीकरण एवं बचाव हेतु अभ्यावेदन के निलंबित किया गया । जो नियम विरुद्ध एवं अनुचित है जबकि मुझे निलंबित करने का अधिकार कलेक्टर को नहीं है।
जवाबदेही तय नही,जिम्मेदारों के विरूध्द नही हुई कार्रवाई
बाल संरक्षण अधिकार आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो के द्वारा जेडीईएस छात्रावास में छात्राओं के यौन शोषण मामला और स्कूल एवं छात्रावास के अवैध संचालन का खुलासा किया गया हैं, स्कूलों को मान्यता देने एवं निरीक्षण करने की जवाबदेही जिला षिक्षा अधिकारी की होती है, जिला षिक्षा अधिकारी निरीक्षण करने व आवष्यक मापदंडो की जाॅच करते हुए मान्यता जारी करते हैं, आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृति सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग एवं पिछड़ा वर्ग विभाग से जारी होता है, छात्रावासों को ग्राॅट देने का जिम्मा भी जनजाति कार्य विभाग को है। किन्तु जिला प्रषासन सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला और जिला षिक्षा अधिकारी राघवेन्द्र मिश्रा को बचाते हुए सरकार के नजरों में ठोस कार्रवाई का भ्रम पैदा करने के लिए समनापुर बीईओ प्रीतराम राजपूत को निलंबित करते हुए कार्रवाई की खानापूर्ति की गई हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार राजपत्रित अधिकारियों को निलंबित करने का अधिकार कलेक्टर को नही है,इसके बावजूद कलेक्टर ने आनन फानन में व्याख्याता को निलंबित किया हैं।
इनका कहना हैं,,
बाल सरंक्षण आयोग के अध्यक्ष के आगमन की मुझे कोई जानकारी नही थी,15 दिवस पूर्व एसी के द्वारा कहा गया कि लिखकर दो कि मुझे बीईओ का कार्य नही करना है,मेरे मना करने के कारण द्वेषतावष मुझे निलंबित किया गया हैं,जुनवानी स्कूल अमरपुर ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी के अधीन है,इसमें मेरा कोई जिम्मेदारी नही हैं।
प्रीतराम राजपूत, निलंबित बीईओ,समनापुर