— अन्य जिले से भटक कर आये बच्चो को उनके घर पहुंचाया…
डिंडौरी(रामसहाय मर्दन)। आमजन में धारण है कि पुलिस गश्त के दौरान गुंडे बदमाशों को ही खोजती है, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि गश्त करते पुलिस जरूरतमंद लोगों पर भी निगाह रखती है। इसकी बानगी मंगलवार की रात नजर आयी है, जब गश्ती कार्य के दौरान कोतवाली थाने के अमले को परिजनों से बिछड़े मंडला जिले के दो मासूम मिले, जो सहमे हुये थे। ठंड में ठूठरते बच्चों को पुलिस ने गर्म कपड़े उपलब्ध कराये और रातभर पुलिस ने अपने साथ रखकर परिवार जैसा दुलार दिया। रातभर की कोशिशों के बाद पुलिस ने बच्चों के परिजनों से संपर्क कर दोनों बच्चों को बुधवार की दोपहर परिजनों को सौंप दिया। कोतवाली पुलिस ने बच्चों को सकुशल परिजनों तक पहुंचाने के साथ यादगार के बतौर मासूम बच्चों को कपड़े देकर विदा किया। पुलिस के इस सकारात्मक रवैया से जहां बच्चों के परिजन अभिभूत हुए, वहीं वर्दी के दुलार को बार-बार याद करते हुए बच्चों के मन मे पुलिस की सकारात्मक तस्वीर भी उभरी है। कोतवाली से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कोतवाली पुलिस को मंगलवार की रात स्थानीय बस स्टैंड में दो बच्चे लावारिस हालत में मिले थे। जिसको थाना लाकर पता ठिकाना पूछने पर मालूम हुआ कि बच्चों का नाम जयसिंह परस्ते पिता रम्मू और मतेश पिता भगत परस्ते निवासी ग्राम दुलादर थाना घुघरी के निवासी हैं। जो परिजनों की डांट से घबराकर गांव से निकल गये थे और भटकते भटकते डिंडोरी पहुंच गये थे। इस बीच बच्चों की मासूमियत को देख कोतवाली प्रभारी सीके सिरामे, उपनिरीक्षक गंगोत्री तुरकर, आरक्षक कोदूराम जोगी और महिला आरक्षक भगवती रावत ने बच्चों को दुलार दिया और घर मे ही रहने, शिक्षित होने की समझाईश दी है। बच्चों को सकुशल पाकर परस्ते परिवार ने डिंडोरी पुलिस को धन्यवाद प्रेषित किया है। गौरतलब है कि इसके पूर्व भी सिटी कोतवाली ने मॉरल पुलिसिंग के बहुत उदाहरण पेश किये हैं। जिसके चलते आमनागरिकों में वर्दी के प्रति विश्वास बढ़ रहा है।
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— अन्य जिले से भटक कर आये बच्चो को उनके घर पहुंचाया…डिंडौरी(रामसहाय मर्दन)। आमजन में धारण है कि पुलिस गश्त के दौरान गुंडे बदमाशों को ही खोजती है, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि गश्त करते पुलिस जरूरतमंद लोगों पर भी निगाह रखती है। इसकी बानगी मंगलवार की रात नजर आयी है, जब गश्ती कार्य के दौरान कोतवाली थाने के अमले को परिजनों से बिछड़े मंडला जिले के दो मासूम मिले, जो सहमे हुये थे। ठंड में ठूठरते बच्चों को पुलिस ने गर्म कपड़े उपलब्ध कराये और रातभर पुलिस ने अपने साथ रखकर परिवार जैसा दुलार दिया। रातभर की कोशिशों के बाद पुलिस ने बच्चों के परिजनों से संपर्क कर दोनों बच्चों को बुधवार की दोपहर परिजनों को सौंप दिया। कोतवाली पुलिस ने बच्चों को सकुशल परिजनों तक पहुंचाने के साथ यादगार के बतौर मासूम बच्चों को कपड़े देकर विदा किया। पुलिस के इस सकारात्मक रवैया से जहां बच्चों के परिजन अभिभूत हुए, वहीं वर्दी के दुलार को बार-बार याद करते हुए बच्चों के मन मे पुलिस की सकारात्मक तस्वीर भी उभरी है। कोतवाली से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कोतवाली पुलिस को मंगलवार की रात स्थानीय बस स्टैंड में दो बच्चे लावारिस हालत में मिले थे। जिसको थाना लाकर पता ठिकाना पूछने पर मालूम हुआ कि बच्चों का नाम जयसिंह परस्ते पिता रम्मू और मतेश पिता भगत परस्ते निवासी ग्राम दुलादर थाना घुघरी के निवासी हैं। जो परिजनों की डांट से घबराकर गांव से निकल गये थे और भटकते भटकते डिंडोरी पहुंच गये थे। इस बीच बच्चों की मासूमियत को देख कोतवाली प्रभारी सीके सिरामे, उपनिरीक्षक गंगोत्री तुरकर, आरक्षक कोदूराम जोगी और महिला आरक्षक भगवती रावत ने बच्चों को दुलार दिया और घर मे ही रहने, शिक्षित होने की समझाईश दी है। बच्चों को सकुशल पाकर परस्ते परिवार ने डिंडोरी पुलिस को धन्यवाद प्रेषित किया है। गौरतलब है कि इसके पूर्व भी सिटी कोतवाली ने मॉरल पुलिसिंग के बहुत उदाहरण पेश किये हैं। जिसके चलते आमनागरिकों में वर्दी के प्रति विश्वास बढ़ रहा है।