डेमेज कंट्रोल करने असंतोषियों को साध रहे दिग्गज।
जबलपुर (नवनीत दुबे)। मध्यप्रदेश के जबलपुर की एक एकलौती विधानसभा जहा भाजपा प्रतयाशी घोषित होने के बाद घमासान मच गया था वो विधानसभा उत्तर मध्य है जहां भाजपा के समर्पित दावेदारों का नाम दरकिनार कर प्रदेश नेतृत्व ने अभिलाष पांडेय को प्रत्याशी बनाया है, ये बात तो सर्वविदित है लेकिन हास्यदपद कहे या विडंबना के एक अनार सौ बीमार की तर्ज पर इस विधानसभा में मचा आपसी घमासान शीर्ष नेतृत्व के कानों तक पहुंच गया, जिसके चलते भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह को जबलपुर आना पड़ा, लेकिन श्री शाह ने अपने आगमन के दौरान धीरज पटेरिया से गुप्त चर्चा की जिसकी चर्चा खुद भाजपाई कर रहे है, ओर धीरज के इस बड़े कद से मन ही मन व्यथित भी नजर आए? हालांकि धीरज के धैर्य रखने के बाद नगर अध्यक्ष प्रभात साहू ने इस्तीफा ये कहकर दिया कि संभागीय कार्यालय में केंद्रीय मंत्री श्री यादव के साथ हुई घटना से दुखी होकर इस प्रमुख पद को त्याग कर सामान्य कार्यकर्ता के रूप में भाजपा की सेवा करने की बात की, तो वहीं भाजपाइयों के मुखारबिंद से श्री साहू की पीड़ा का कारण कुछ और ही चटकारे लेकर किया जा रहा है, हालांकि प्रभात जी को मनाने कोई दिग्गज नहीं आया पर है पश्चिम से भाजपा विधायक प्रत्याशी राकेश सिंह ने उनके समर्थन में अपना पक्ष रखते हुए उनके इस्तीफे को नामंजूर करते हुए उन्हें नगर भाजपा अध्यक्ष ही दर्शाया ओर साहू जी सांसद जी के सामने मंद मंद मुस्कुराते नजर आये, तो वहीं पूर्व राज्यमंत्री शरद जैन भी अपने बगावती तेवरों को शांत करते हुए अमित शाह जी की सीख ओर आदेश के प्रति कृतज्ञ नजर आए और पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में खड़े होने विवश हुए? अब बात आती है नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल की जिन्हें महापौर चुनाव में प्रत्याशी बनाये जाने का पूर्ण भरोसा दिलाकर स्थानीय दिग्गज द्वारा केंद्रीय आलाकमान के उस दौरान आगमन पर जमकर खर्च करवाया गया था, पर बाद में महापौर प्रत्यशी के रूप में संघ से जुड़़े वरिष्ठ ओर कद्दावर जितेंद्र जामदार को प्रत्याशी बना दिया था, हालांकि स्थानीय दिग्गजों ओर पदाधिकारियों के बेमन प्रचार के फलस्वरूप भाजपा को करारी शिकस्त मिली थी, लेकिन आनन—फानन में कमलेश को अग्रसेन वार्ड से पार्षद प्रत्याशी बनाया गया था जहाँ उन्हें भारी खर्च करके जीत हासिल की थी, लेकिन वहीं अगर सूत्रों की माने तो संघ के स्थानीय कार्यालय के एक दिग्गज के आश्वाशन ओर भाजपा के केंद्र से जुड़े स्थानीय कद्दावर के द्वारा पुनः उत्तर मध्य से श्री अग्रवाल को विधायक प्रत्याशी बनाय जाने का पक्का प्रॉमिस किया गया था? लेकिन एक बार फिर “दिल के अरमान आंसुओ में बह गए” ओर प्रदेश अध्यक्ष बी.डी. शर्मा जी के प्रिय युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष को प्रत्यासी घोषित कर दिया गया, हालांकि सियासती गलियारों की माने तो अभिलाष ने प्रदेश स्तर पर युवा मोर्चा की बागडोर सम्हाली है इसलिए नेटरतब क्षमता है रही कमलेश अग्रवाल की तो स्थानीय राजनीति में अच्छी पकड़ है, ओर इसी के मद्देनजर अभिलाष को योग्य समझा गया, परिणीति स्वरूप कमलेश ने बगावती तेवर अपना लिए ओर निर्दलीय चुनाव लड़ने का शंख नाद कर दिया जिससे अभिलाष के समीकरण पर कुछ हद तक प्रभाव पड़ने की आशंका को देखते हुए शिवराज जी जबलपुर आये और कमलेश को साधने आश्वाशन की डोर थमाई ओर सियासती भाषा के अनुसार पार्टी के वरिष्ठ ओर सम्मानीय के आदेश का पालन करने की बात कहकर विधानसभा में निर्दलीय दावेदारी से कदम पीछे कर लिए, जो संस्कारधानी में चर्चा का विषय बन गया जहाँ एक दिन पहले कमलेश निर्दलीय ताल ठोकने की बात उत्तर मध्य के जनमानस के आदेश के पालन को सर्वोपरि बताकर कर रहे थे, तो वहीं जनता जनार्दन की अपेक्षाओं, भावनाओं, आदेश को नजर अंदाज करते हुए बिना कोई शर्त शिवराज जी के समक्ष नतमस्तक हो गए, सियासत है भैया हर लड़ाई ओर हर बात जनता जनार्दन को आगे करके आदेश को सर्वोपरि दर्शा कर है राजनेता यही खेल खेलते है? खैर जो नियत था वो हुआ और चर्चाओं का बाजार में कमलेश अग्रवाल के पीछे हटने की बात सत्य साबित हुई, अंततः उत्तर मध्य के चुनावी संग्राम में मुकाबला बड़ा जबरदस्त है जहाँ एक ओर बगावती तेवर वाले पुनः पार्टी के प्रति पुनः निष्ठावान ओर सेवाधारी बन गए, वहीं चर्चा ये भी है कि ये आग इतने जल्दी नहीं बुझेगी? जितने मुंह उतनी बात, तो वहीं पश्चिम विधानसभा में भी ऐसी ही चर्चा गली मोहल्लों चाय पान तपरों पर धीमे सुर में हो रही है?