◆अभियान की सार्थकता तब होगी जब लोगों को अच्छी तरह समझा दिया जाएगा कि हेलमेट में उनकी सुरक्षा है:-
डिंडौरी| मोटर वाहन अधिनियम में हेलमेट की अनिवार्यता का प्रावधान होने के बावजूद यह विडंबनापूर्ण स्थिति है कि हमारे न्यायालयों को इसके लिए अलग से आदेश जारी करना पड़ता है। आम जनता जागरूक नहीं है और वह हेलमेट को बोझ मानने की प्रवृत्ति ओढ़े हुए है। प्रशासन और सरकार कहीं न कहीं लचीला रूख अख्तियार किए हुए है। यही कारण है कि प्रदेश के किसी भी शहर में हेलमेट के अनिवार्यता को लागू नहीं किया हुआ है। पहले कभी अदालतों का निर्णय आया या कहीं बहुत हो हल्ला हुआ तो इसे लागू किया गया और अभियान भी चलाए गए, पर कुछ समय बाद इस पर जोर देने बंद कर दिया जाता है। इस पर इस बार उच्च न्यायालय जबलपुर ने आदेश जारी किया है। इस आदेश के बाद पुलिस मुख्यालय ने प्रदेश के सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखा है। इसमें कहा है कि बाइक पर हेलमेट नहीं पहनने वालों के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 128 व 129 का सख्ती से पालन कराया जाए। एसपी सभी सरकारी, अर्द्ध सरकारी व निजी दफ्तरों के प्रमुखों को पत्र भेज रहे हैं। उन्हें ताकीद की जा रही है कि सभी कर्मचारियों को हेलमेट पहनने के संबंध में निर्देश जारी करें।यातायात पुलिस भी 6 अक्टूबर से सघन जांच शुरू कर रही हैं। यहां पुलिस, प्रशासन व सरकार को सोचना चाहिए कि ऐसी नौबत क्यों आ रही है कि उच्च न्यायालय को आदेश जारी करना पड़ रहा है? न्यायालय की फटकार पर ही हम क्यों हरकत में आते हैं और इसके बावजूद क्यों हमारे अभियान हमेशा अधूरे रह जाते हैं? यह सीधा लोगों की जिंदगी से जुड़ा मुद्दा है। पुलिस मुख्यालय की ही एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में एक साल में सड़क हादसों में सिर में गंभीर चोट के कारण 4219 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इनमें कई दुपहिया वाहन चालक भी हैं, जिन्होंने हेलमेट नहीं पहना था। जिम्मेदार लोग भी हैं, जो बेपरवाह रुख रखते हैं। प्रशासन को अपनी पुरानी गलतियों से सबक लेकर नई रणनीति के साथ चौराहों पर उतरना होगा। 6 अक्टूबर से चलाए जा रहे अभियान की सार्थकता तभी होगी, जब लोगों को यह अच्छी तरह समझा दिया जाएगा कि हेलमेट में उनकी सुरक्षा है और ऐसा करके हजारों जानें बचा ली जाएंगी। इसके अलावा सतत जुर्माना की जगह हर बार वाहन चालक को हेलमेट दिया जाए ताकि लोगों को अच्छी तरह समझाया जा सके कि हेलमेट में उनकी सुरक्षा है। पैसा का जुर्माना कर बस भय बना सकता है। जीवन का महत्व नहीं समझा सकता।