जबलपुर। मप्र उच्च न्यायालय की ओर से जिला न्यायालयों मे की जा रही 1255 पदो पर भर्ती को उच्च न्यायालर्य ने अपने अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया। जस्टिस शील नागू व जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की डिवीजन बेंच ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। भर्ती की सम्पूर्ण प्रक्रिया निर्णयाधीन करते हुए याचिकाकर्ताओ को आगामी मुख्य परीक्षा मे शामिल किए जानेका भी निर्देश दिया गया।
महिलाओं, दिवयागजन सहित ओबीसी और एससी के कई अभ्यर्थियो ने याचिका दायर की। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने न्यायालय को बताया कि मप्र उच्च न्यायालय द्वारा 1255 पदों पर भर्ती हेतु 12 नवम्बर 2021 को मप्र उच्च न्यायालय ने विज्ञापन जारी किया गया। उक्त विज्ञापन में किस वर्ग को किस नियम के तहत कितना आरक्षण दिया जाएगा इसका उल्लेख नही किया गया है। उक्त भर्ती उच्च न्यायालय या मध्य प्रदेश शासन के किस नियम से की जाएगी इसका भी उल्लेख नही किया गया। इंद्रा साहनी व अन्य प्रकरणों मे भर्ती प्रक्रिया मे आरक्षण से संवन्धित अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के समवंध मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। जिसका पालन इस उच्च न्यायालय द्वारा नही किया गया, और 100 फीसदी कम्यूनल आरक्षण लागू करके प्रारम्भिक परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया।
प्रारम्भिक परीक्षा 22 फरवरी और 20 फरवरी 2022 को आयोजित की गई। 30 मार्च 2022 को प्रारम्भिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। उक्त परिणाम में महिला व विकलांगो की वर्गवार अंको की कट आफ सूची प्रदर्शित नही की गई। अनारक्षित वर्ग मे एक भी आरक्षित वर्ग के मेरीटोरियस छात्र को चयनित नही किया गया, और अन्य अनियमितता की गईं। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विनायक शाह, उदय कुमार, गोपाल श्रीवास, प्रशांत चौरसिया, परमानंद साहू, आरजी वर्मा, अंजनी कोरी ने भी पैरवी की।