जबलपुर (नवनीत दुबे)। विदित हो कि बीते कुछ समय से हिंदू राष्ट्र हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र घोषित करने का मुद्दा जमकर गरमाया है, जिसके चलते हर सियासत ई चाणक्य अपनी-अपनी रणनीति को साकार रूप देने में लगा है ,वैसे सर्वविदित है कि हिंदुस्तान धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है किंतु अतीत को दृष्टिगत रखते हुए ज्ञान चक्षु से देखा जाए तो सनातन ही सबकी नींव है, जिसे आज स्वीकार करने से हिंदुस्तान का मुस्लिम वर्ग इंकार करता है , तो वही बुद्धिजीवी मुस्लिम इस सत्य को खुले दिल से स्वीकार करते हैं कि वर्तमान इनका जो भी हो लेकिन इतिहास सनातन की रक्त धारा से ही जुड़ा है , खेत हिंदुस्तान है जनाब यहां सभी को धार्मिक अभिव्यक्ति की आजादी है लेकिन इस गर्म जोश मुद्दे के बीच जो सबसे अहम बात निकल कर सामने आ रही है, वह हर सच्चे हिंदुस्तानी के लिए सुखद और हर्ष की अनुभूति करने वाली है, जब से हिंदू राष्ट्र की गर्जना हुई तब से कुछ कट्टरपंथी मुट्ठी भर इस्लाम के ठेकेदार जो अमन चैन की फिजा में हिंदू-मुस्लिम का जहर घोलकर अपने कुंठित मंशा को पूरा करने का असंभव स्वप्न देख रहे है, रवि अब भारत के संविधान के प्रति आस्था और समर्पण के भाव से नतमस्तक नजर आ रहे हैं, यह वही मुट्ठी भर धर्म के ठेकेदार हैं जो शांति पर मुस्लिम समुदाय को शरीयत के कानून के नाम पर बरगला रहे थे और युवाओं को हिंसा के रास्ते पर भेजने का प्रयास कर रहे हैं ? अभी स्वयं का वर्चस्व कायम रखने शरीयत को भूल बाबासाहेब के भारतीय संविधान की दुहाई देकर हिंदू राष्ट्र के विरोध में बात कर रहे हैं ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा सिर्फ हिंदुस्तानी ऐसा महान देश है जहां हर धर्म पंथ के लोगों को बिना भेदभाव हर योजनाओं सुविधाओं का लाभ दिया जाता है, वरना अन्य देशों में तो बहुत आया था वादी के नाम से ही उसकी पहचान होती है और उनके नियम कानून की अवहेलना व देश विरोधी बात करने पर अत्यंत कठोर दंड दिया जाता है, पर हिंदुस्तान का संविधान इतना लचीला है कि जहर उगलने वालों और देश के टुकड़े करने वालों की निकृष्ट सोच को अनसुना कर उनका लालन-पालन किया जाता है ? मुद्दे की बात यह है कि चुनावी वर्ष में जोर पकड़ चुके हिंदू राष्ट्र के मुद्दे को सियासत के धुरंधर किस तरह बन जाते हैं और वोट बैंक का समीकरण अपने अपने पक्ष में करने हिंदुस्तान की आवाम को किस तरह के तिलिस्म में फंसा कर अपनी तरफ रिझाते हैं ?