◆ नगर के प्रतिष्ठित परिवार की दुर्दशा, अंतिम संस्कार के लिये नगर के लोगों ने किया चंदा:-
डिंडौरी (रामसहाय मर्दन)। नगर में एक प्रतिष्ठित परिवार की बेटी और माँ अपनी मृत बेटी के अंतिम संस्कार के लिये लोगों से मिन्नते करती नजर आई। जहां परिवार के सदस्यों का दिल तो नहीं पसीजा, वहीं पड़ोसियों और नगर के कुछ लोगों ने आपस में चंदा करके बेटी को अंतिम विदाई दी। मां और बेटी के पास खाने-पीने का सामान तक नहीं है लिहाजा उसके लिये भी लोगों ने चंदा करके समान घर भेजा है।
◆ अंतरजातीय विवाह के कारण परिजनों ने बेटी को त्याग दिया:-
नगर के प्रतिष्ठित स्व.जुगलकिशोर सोनी के ग्यारह बेटों में से एक बेटा स्व.प्रदीप सोनी था। प्रदीप सोनी ने लगभग 30 वर्ष पहले अलका वैश्य से प्रेम विवाह कर लिया था और काम की तलाश में भोपाल चला गया था। ग्यारह साल पहले जब वापस डिंडौरी लौटा तो भाइयों ने जमीन में भी हिस्सा बटवारा नहीं दिया। प्रदीप मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करता रहा। उसके कुछ समय बाद ही प्रदीप सोनी की मौत हो गयी। अलका वैश्य बताती है कि उनकी चार बेटियाँ थी पहली बेटी को भोपाल अस्पताल से मां लेकर चली गयी।प्रिया सोनी की मौत दस वर्ष की उम्र में हो गयी। और आज पूजा सोनी की भी बीमारी के बाद मौत हो गयी। अब केवल एक बेटी प्रीति सोनी बची है।
◆ पूजा की एक वर्ष पहले ही हुई थी शादी पति ने भी छोड़ा:-
अलका सोनी ने बताया कि मृतिका पूजा सोनी की शादी 2021 में भोपाल में गांधी नगर में जितेंद्र मेवाड़ा के साथ पूरे रीति रिवाज से हुई थी। पूजा कुछ दिनों बाद बीमार हो गयी। पति ने इलाज नहीं कराया और कुछ दिन बाद उसे हमारे पास भेज दिया। काफी समय से बीमार के चलते आज उसकी मौत हो गयी।
◆ छोटी बहन ने दी बड़ी बहन को दी मुखाग्नि:-
पूजा की मौत के बाद मां बेटी को लगा कि शायद परिवार के सदस्यों का दिल पसीज जायें, लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की। इतना ही नहीं मायके वालों ने भी मदद नहीं की और पूजा का पति भी नहीं आया। प्रीति ने अपने पिता के सहयोगी राजू बर्मन से मदद मांगी तब राजू बर्मन ने कुछ लोगों से सहयोग करके अंतिम संस्कार करवाया। एक महीने पहले ही माँ बेटी आई थी डिंडौरी किराए के मकान में रह रही थी। मकान मालिक रामसहाय मर्दन ने बताया कि पिछले महीने ही अलका सोनी अपने दो बेटियों के साथ किराए का मकान लेने आई थी, और मैने कमरा किराए पर दिया था। आज सुबह जब पता चला तो सभी लोगों को फोन कर जानकारी दी और अंतिम संस्कार करवाने मुक्तिधाम तक गए। वहीं समाज सेवी हरिहर पराशर ने खाने—पीने की सामग्री खरीद कर दी है।