डिंडौरी:- भारतीयों को बदलते समय के साथ अनुकूलन व प्रतिस्पर्धा करना होगा : प्रफुल्ल चंद्र

डिंडौरी:- भारतीयों को बदलते समय के साथ अनुकूलन व प्रतिस्पर्धा करना होगा : प्रफुल्ल चंद्र

डिंडौरी (रामसहाय मर्दन)।  भारत के महान वैज्ञानिक, रसायन शास्त्री व क्रांतिकारी आचार्य प्रफुल्ल चंद्र की जयंती के अवसर पर मेकलससुता महाविद्यालय में एक दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया । महाकौशल विज्ञान परिषद एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास महाकौशल प्रांत के द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत हमारे भारत देश के अनेक वैज्ञानिकों को याद कर रहा है जिन्होंने भारत देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाई थी ऐसे ही महान क्रांतिकारी थे। वैज्ञानिक प्रफुल्ल चंद आपने रसायन विज्ञान विषय के क्षेत्र में अनेक शोध कार्य किए हैं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी आपने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है।कार्यक्रम का आयोजन रसायन विभाग के प्रो. डी.आर. राठौर के निर्देशन में आयोजित किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. बीएल द्विवेदी ने आचार्य प्रफुल्ल चंद्र के जीवन में किए गए अनेक कार्यों को छात्र-छात्राओं के सामने रखा आपने बताया कि आचार्य प्रफुल्ल चंद्र ने अनेकों बार अपनी आत्मकथा में उल्लेख किया है कि भारत का गौरवशाली इतिहास था परंतु भारतीयों को बदलते समय के साथ अनुकूल और प्रतिस्पर्धा करना होगा साथ ही धर्म के आधार पर राष्ट्र को बांटने वाली राष्ट्रीयता का भी आपने विरोध किया था आप वैज्ञानिक के भेष में क्रांतिकारी के रूप में भी जाने जाते हैं ।आत्मनिर्भर वैज्ञानिक तंत्र का निर्माण शिक्षित भारतीय ही कर सकते हैं ऐसे अनेकों विचार आचार्य प्रफुल्ल चंद्र ने अपने संपूर्ण जीवन में दिए हैं आपने ना केवल रसायन विषय के लिए देश को अनेकों सौगात दी हैं बल्कि क्रांतिकारी के रूप ,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में भी सराहनीय योगदान राष्ट्र हित में दिया है इस कार्यक्रम का उद्देश्य महान वैज्ञानिकों के कार्यों को छात्र-छात्राओं के सम्मुख रखना एवं वैज्ञानिकों से उनका परिचय कराना रहा कार्यक्रम में अन्य प्राध्यापकों ने भी अपने अपने विचार रखें जिसमें प्रो विकास जैन,प्रो प्रवीण मानकर, प्रो अर्चना अवधिया, ज्योति द्विवेदी, स्वर्ण तिवारी,सुभाष साह धुर्वे, मनीष ठाकुर व छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

administrator, bbp_keymaster

Related Articles