संघ और भाजपा विरोधियों को हजम नहीं हो रहा प्रभु राम का आधिपत्य…
नवनीत दुबे। आज हर सनातनी हिंदुस्तानी की खुशी का कोई मोल नहीं लगाया जा सकता कारण सिर्फ एक के प्रभु श्री राम सपरिवार अयोध्या में विराजमान हो गए है, लंबे समय से या ऐसा कहे कि कई सौ वर्षों की लड़ाई के बाद श्री राम तंबू से निकलकर अपनी जन्मभूमि अयोध्या के महलों अर्थात मंदिर में अपने पूर्ण अस्तित्व के साथ विराजमान हो गए है, हालांकि इस बात का उल्लेख आवश्यक है कि अयोध्या में प्रभु राम के मंदिर की स्थापना के लिए न जाने कितने रामभक्त काल कवलित हो गए और न जाने कितने ही श्री राम की स्थापना का स्वप्न संजोय बैकुंठधाम पहंुच गए, साथ ही प्रभु राम के अस्तित्व को स्थापित करने की लड़ाई में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, भाजपा, हिन्दू परिषद्, बजरंग दल के साथ ही हिन्दू वीर बाला साहेब ठाकरे व उनके शिवसैनिकों ने बावरी विध्वंश में खुली ताल ठोंककर बर्बरता क्रूरता का प्रतीक बाबरी मस्जिद का विध्वंश करने में अग्रणी भूमिका का निर्वहन किया था और बहुत से राम भक्तों को मुलायम सरकार की गोलियों का शिकार होना पड़ा था, लेकिन ‘‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध ले’’ का परिपालन करते हुए शब्दों की माला में पिरोये लेख का आशय व्यक्त करता हुए लंबे समय तक हिंदुस्तान में कांग्रेस की सत्ता थी पर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव जी की थोड़ी बहुत आस्था प्रभु राम में थी और उन्होंने बहुत प्रयास किये थ,े प्रभु राम के अस्तित्व को पुनः स्थापित करने पर हाय री विडंबना के राजीव जी की मृत्यु के बाद कांग्रेस की बागडोर उनकी धर्म पत्नी सोनिया गांधी के हाथ आई तब से बीते कुछ वर्ष तक सत्ताधीश सिर्फ प्रभु राम के अस्तित्व को नकारते ही नजर आए और मिशनरी प्रथा का बोलबाला चरम पर दिखा घ्वक्त ने करवट बदली ओर 2014 में प्रभु श्री राम के हिंदुस्तान में भाजपा की मोदी सरकार केंद्र में काबिज हुई जिसके सिरमौर नरेंद्र मोदी बने बस फिर क्या था, हर हिंदुस्तानी की राम के प्रति आस्था जाग गए और पूर्ण भरोसा हो गया कि प्रभु राम अब तंबू से निकलकर अपने अस्तित्व को स्थापित करेंगे, माननीय सर्वोच्च न्यायलय का निर्णय श्री राम के अस्तित्व के पक्ष में आया और रामराज्य का शंखनाद हुआ, आज लंबे समय से देखा जा रहा स्वर्णिम स्वप्न पूर्ण हुआ, प्रभु राम अपनी अयोध्या में विराजमान हो गए, लेकिन दुखद कहे या शर्मनाक के प्रभु राम की स्थापना को लेकर राजनीतिक द्वंद छिड़ गया है, ओर विरोधी अनर्गल बयानबाजी कर रहे है, सीधी सी बात है जो लोग आज मोदी को भला बुरा बोलकर खीझ निकाल रहे है, जरा अपने गिरेबान में झांक कर देख ले के प्रभु राम के अयोध्या में स्थापित होने के लिए कितना संघर्ष किया है, और हिन्दू समाज को जाग्रत करने व कश्मीर में हिंदुओं पर हुए अत्याचार के विरोध में कितना खुलकर सामने आए है, साथ ही एक समय वो भी था, मोदी शासन काल के पहले जब हिन्दू देवी देवताओं का मजाक बनाया जाता रहा, तब ये मौका परस्त सियासतदार ओर धर्म के मठाधीश गांधी जी के तीन बंदरांे की भांति ही नजर आए है, विडंबना ही कहेंगे कि 22 जनवरी के ऐतिहासिक और स्वर्णिम पावन दिन को लेकर भी विरोधाभास से ग्रसित कुंठित स्वार्थयुक्त मनोभाव का परिचय हिंदुस्तान के जनमानस को देखने मिल रहा है, खैर सो टके को एक बात के जितने मठाधीश और जितने भाजपा विरोधी श्री राम की स्थापना को व्यथित है उनके भारत का जनमानस जवाब देगा।