जबलपुर, डेस्क। मप्र उच्च न्यायालय से बीएसएनएल के 7 सब डिविजनल इंजीनियरों को राहत नहीं मिली। जस्टिस एमएस भट्टी व जस्टिस पीसी गुप्ता की डिवीजन बेंच ने इनकी वह याचिका निरस्त कर दी, जिसमें तबादले को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को छूट दी कि वे केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के समक्ष अपनी अर्जी की जल्द सुनवाई की गुहार लगा सकते हैं।
बीएसएनएल के निरीक्षण मंडल जबलपुर में कार्यरत एसडीई अयोध्या प्रसाद सोनी, राम प्रकाश अहिरवार, अजय शंकर तिवारी, आलोक वशिष्ठ, अरुण कुमार शर्मा, आलोक मिश्रा व ग्वालियर मंडल में कार्यरत राजेश कुमार अग्रवाल की ओर से यह याचिका दायर की गई। सीनियर एडवोकेट केसी घिल्डियाल व अधिवक्ता श्रीकांत मिश्रा ने न्यायालय को बताया कि सरप्लस कर्मचारी बताते हुए याचिकाकर्ताओं का 2 मई 2022 को थोक में तबादला कर दिया गया। इस बात का ध्यान नहीं रखा गया कि वे कितने अरसे से एक विशेष स्थान पर कार्यरत हैं। सरप्लस कर्मियों के तबादले की कोई नीति नहीं है। ऐसी दशा में अत्यंत आवश्यक होने पर ही तार्किक ढंग से और ठोस कारण के साथ ही तबादला किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने कैट के समक्ष तबादला आदेश को चुनौती दी और इसे स्थगित करने की मांग की। लेकिन कैट ने तबादला आदेश स्थगित करने का आवेदन ठुकरा दिया और मामले की सुनवाई 5 जुलाई नियत कर दी, यह अनुचित है। बीएसएनएल की ओर से अधिवक्ता राहुल रावत ने न्यायालय को बताया कि कम्पनी के पुनर्गठन की प्रक्रिया जारी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कैट ने सही तरीके से तबादला आदेश स्थगित करने से इनकार किया था। तर्क दिया गया कि कर्मियों की पदस्थापना और स्थानांतरण के मुद्दे नियोक्ता का विशेषाधिकार है। उभयपक्ष को सुनने के बाद न्यायालय ने याचिका निरस्त कर दी।